आज के इस भयावह समय मे इंसान कुछ भी कहने का लिया शब्दहीन हो गया है.....
राह दिखा दे [कविता]: रचना सागर
ये भी सहूँ वो भी सहूँ
कोई तो दर्द की दवा बता दे
सहने का सिलसिला थाम दे
दिखती है इक रौशनी
उस रौशनी की राह दिखा दे
जिंदा है इंसान अब भी
जिंदा रहने का एहसास करा दे
झूठ के बादल को हटा के
सच का एक सूरज तू उगा दे
मेरे बेटे की मांग पर यह कविता उस वीर के नाम जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हुए अंग्रेजों में एक ख़ौफ़ पैदा कर आजादी की लड़ाई में एक जान फूंक दी। .... पेश है मेरी नई कविता "चंद्रशेखर बनूंगा मैं "
चंद्रशेखर बनूंगा मैं [बाल कविता]: रचना सागर
माँ मुझ को गुलेल दिला दो
चंद्रशेखर बनूंगा मैं।
सत्य राह पर चलूंगा मैं
सबसे आगे रहूँगा मैं।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
यह अपने है भाई- भाई ।
माँ मुझ को गुलेल दिला दो
चंद्रशेखर बनूंगा मैं।
भगत सिंह ,सुखदेव, राजगुरु
यह थे कल के आजाद सिपाही।
आज का सैनिक बनूंगा मैं
भारत माँ की सेवा करुंगा मैं ।
आज हमारे लिए बड़े सौभाग्य की बात है की हमें हर साल 26 जनवरी को गणतन्त्र दिवस मनाने का मौका मिलता है| हर साल की तरह इस साल भी सभी को इस दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाए व इस दिवस पर पेश है मेरे नई बाल कविता "मेरे सपनों का भारत "
मेरे सपनों का भारत [बाल कविता]: रचना सागर
मेरे भारत में ना कोई भुखमरी से मरे
हर जवान काम मेहनत से करें
ना किसी हिंदुस्तानी का मन बिके
यहाँ सभी अच्छे गुण ही सीखेँ
यहां पर ना हो भ्रष्टाचार का नामोनिशान
प्रगति का पथ सीखें.... यहां पर हर इंसान
हर सैनिक करें दुश्मनों को लहूलुहानन
न करें अपनी जान कुर्बान
गरीबी व अशिक्षा से मिलें इसे छुटकारा
चमके हर बालक बन एक सितारा
यहाँ कभी ना बैठे कोई युवक बेकार
यहाँ पर हो नौकरियों की भरमार
मेरा भारत बन जाए पृथ्वी का गहना
इसकी उन्नति का क्या कहना
बढ़ती रहेंगी इस तिरंगे की शान
सारे जग से प्यारा मेरा हिंदुस्तान