बेवजह का बवाल [यात्रा संस्मरण]- रचना सागरमैंने कई बार रेलगाड़ी की यात्रा की है, आशा है, आप सब ने भी कभी ना कभी रेलगाड़ी में यात्रा की होगी| वह स्टेशन की चहल-पहल…… वो रेल की आवाज….. इन सब के बीच.. एक चीज है जो होती तो स्थिर है पर ... हमारी नज़र एक बार तो उस पर जाता ही है.... हां वह है ट्रेन के कोने मे लटकी वह चेन जो...
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बताओ जरा …. तो जाने [बचपन से ]- रचना सागर
1.सफेद मुर्गी हरी पूंछ,
तुझे ना आए तो लाले से पूछ ।
2.छोटा-मोटा राजकुमार
कपड़ा पहने एक हजार।
3.पगड़ी में भी गगरी में भी
और तुम्हारी नगरी में भी
कच्चा खाओ तो पक्का खाओ
शीश मे मेरा तेल लगाओ।
4.मैं हरी मेरे बच्चे काले
मुझको छोड़ मेरे बच्चों को खा ले ।
5.एक नाम...