ग्लानि [यात्रा संस्मरण]- रचना सागरबात कुछ वर्षों पहले की है , जब जन-जीवन सामान्य चल रहा था। उस समय सभी अपनी अपनी दिनचर्या में व्यस्त और मस्त थे । आज लोगों का विश्वास अच्छाई और भलाई पर से उठता सा जा रहा है। मेरी यह यात्रा वृतांत आज के जमाने में भी छिपी अच्छाई और इंसानियत से है।
यह वाक्या कुछ उस समय का है जब बस...
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बेवजह का बवाल [यात्रा संस्मरण]- रचना सागरमैंने कई बार रेलगाड़ी की यात्रा की है, आशा है, आप सब ने भी कभी ना कभी रेलगाड़ी में यात्रा की होगी| वह स्टेशन की चहल-पहल…… वो रेल की आवाज….. इन सब के बीच.. एक चीज है जो होती तो स्थिर है पर ... हमारी नज़र एक बार तो उस पर जाता ही है.... हां वह है ट्रेन के कोने मे लटकी वह चेन जो...