राह दिखा दे [कविता]: रचना सागर



 


आज के इस भयावह समय मे इंसान कुछ भी कहने का लिया शब्दहीन हो गया है.....

राह दिखा दे [कविता]: रचना सागर 



ये भी सहूँ वो भी सहूँ
कोई तो दर्द की दवा बता दे
सहने का सिलसिला थाम दे
दिखती है इक रौशनी
उस रौशनी की राह दिखा दे
जिंदा है इंसान अब भी
जिंदा रहने का एहसास करा दे
झूठ के बादल को हटा के
सच का एक सूरज तू उगा दे



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