राह दिखा दे [कविता]: रचना सागर
ये भी सहूँ वो भी सहूँ
कोई तो दर्द की दवा बता दे
सहने का सिलसिला थाम दे
दिखती है इक रौशनी
उस रौशनी की राह दिखा दे
जिंदा है इंसान अब भी
जिंदा रहने का एहसास करा दे
झूठ के बादल को हटा के
सच का एक सूरज तू उगा दे
About
अभिषेक सागर
काँमेडी फिल्म व जोक्स मुझे बहुत पसंद है
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