फागुन इस फागुफागुन मेंदिल दर्द के गुलाल से भर गयाजब भाई के हाथों भाई कत्लेआम हो गयाजिगर में एक टीस सी उठ गईजब राम और मुहम्मद के नाम पेगलियां बंट गईअजान और घंटी में फासला तो सदियों से चलती आईपर आज शारदा ने सलमा से क्यूँ नजरें निरस्त कर गईइस रंगों के त्योहार में बेरंग दिखे जमानागले मिलने की बजाए पीठ दिखाये...
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मेरी नज़र से देखो...गर सहज़ लगती हैस्त्री की जिंदगी तोमेरी नजर से देखोसब कुछ होते हुए भीमोहताज हैदिनभर काम करते हुए भीबेकार हैअपना सब कुछ देकर भीनिकम्मी और लाचार हैकहते है बराबर का सम्मान हैपर घड़ी-घड़ी नज़रों की शिकार हैकौन कहता है समय बदल गया हैआप ये बताओ ...दहेज देने का चलन खत्म हो गया हैसब नज़रों का भ्रम हैक्योंकि...
30
Sep
हिमाचल की वादियाअनगिनत चीज़े सीखी मैंने यहांपाया अपनी उम्मीद से बढ़कर यहांखट्टी मीठी यादों का बसेरा है दिल मेंकई सारे रिश्तों को संजोया है दिल मेंखेला कूदा किया मस्ती हजारहर दिन मनाया जैसे नया त्यौहारसरसरी हवाएं वो आँधी-तूफानये ऊँची वादियां ये गगन चुम्बी पहाड़और इन गगन चुम्बी पहाड़ियों परझिलमिलाती -सी बत्तियांआशा जगाती,...
14
Sep
हम और हिंदी हिन्द और हिंदी का सम्मान करें हमभारत की माटी हिंदी से प्यार करें हमहिंदी का पूर्ण विकास हो हिंदी कभी न उदास होसंस्कृत की बेटी कहलाए हिंदीमगध अवधी के संग हैं हिंदीउर्दू अंग्रेजी है सखिया इसकी साहित्य में भी नाम बनाए हिंदीडोर है हिंदी पतंगा है हम गुरू है हिंदी शिष्या है हमसोच में हिंदी...
प्रिय शिक्षक [कविता]- रचना सागर
विद्या का सार बताया
पशु और मनुष्य का फर्क समझाया
असभ्य और सभ्यता का मान बताया
आत्मसम्मान और घमंड का तर्क दिया
मन में, घर में, विद्यालय में,
समाज में और पूरे विश्व से
अज्ञानता का अंधकार मिटा
ज्ञान का दीप जलाया
प्रिय शिक्षक ,
आपको करूँ कर जोड़ प्रणाम
आपका बहुत बहुत आभार
जो जीवन का...