Showing posts with label rachna sagar. Show all posts
Showing posts with label rachna sagar. Show all posts

अभिनन्दन [कविता]- रचना सागर

अभिनन्दन [कविता]- रचना सागर


तिरंगे के लिए जो जान हुई कुर्बान
अरे! उनका तो मान रखा करो
तू -तू , मैं - मैं करके
यूँ भारत के टुकड़े न किया करो
पीठ - पीछे नोकता चीनी करके
अपने देश को न बदनाम किया करो
तिरंगे के लिए जो जान हुई कुर्बान ...
अरे ! उनका तो मान रखा करो ।
आज के युवा, पाये है अवसर जो तुमने हजारों लाखों
उनको न ट्वीटर ... पर बर्बाद किया करो
पढ़ो - लिखो, विज्ञान ,कला खेलो में भी नाम बनाओ
भारत को दुनिया में शीर्ष स्थान दिलाओ
माँ -बाप की भाँति देश भी तुम से आस लगाए बैठा है
उठो जागो कि इतिहास बदल डालो
ये देश तुम्हारे अभिनन्दन को थाल सजाएं बैठा है
तिरंगे के लिए जो जान हुई कुर्बान
अरे!उनका तो मान रखा करो ।


आओ इस प्रकृति को हम बचाए [कविता]- रचना सागर

आओ इस प्रकृति को हम बचाए [कविता]- रचना सागर


सूरज का उगना सिखलाए
रोज नई शुरूआत कर जाए
ये विशाल पर्वत
हमें आसमान छूने की राह बताए
ये बृक्ष की तनी भुजाए
हर पल आगे बढ्ने को कह जाए
ये दिवार पर चिपकी छिपकली
समस्या मे स्थिर रहने को सिखाती
ये प्रकृति की छोटी छोटी चिंटियाँ
पूरे समय व्यस्त रहने को कहती
इन पंक्षियो का कोलाहल
हमेशा चहकते रहने का सन्केत दे जाए
अंकुरित बीज को तो देखो
क्षण-क्षण परिवर्तन में मुस्कुराने को कहता
मोर के सुंदर पंखो को तो देखो
मानो जीवन का हर रंग हो समाया
नदियो की धारा कह जाती
पथ जैसा भी हो आगे बढना है
ये समय हमें सिखलाता
ये आज जो है, कल नही मिल पाता
कितनी खुबसूरती से प्रभु ने
ये प्रकृति हमे सदा सीख देने को रची
आओ इस प्रकृति को हम बचाए
आओ इस प्रकृति को हम बचाए


ये जाना [कविता]: रचना सागर

 


ये  जाना 

मेरी किस्मत भी मुझे 

अजब  मुंह चिढ़ाती है 

पास दिखती- सी मंजिल को

ओझल-सी कर जाती है 

मैंने  सुना है 

लोगों को

 अक्सर, ये  कहते 

 हर कामयाब पुरुष के

 पीछे 

औरत का साथ होता है

पर 

मैंने ये  जाना (अब तक)

 हर कामयाब औरतों के 

पीछे कोई पुरुष छिपा होता है

 बहुत कम होते है वो लोग

 जो समर्पण मे सच्चा विश्वास रखते हैं

 नहीं तो

 हर कोई यहां फायदा उठाने को बैठा है

 आईना हर घर में है फिर भी 

खुद से नजर चुराए बैठा हैं

मेरी किस्मत भी मुझे 

अजब  मुंह चिढ़ाती है 

पास दिखती- सी मंजिल को

ओझल-सी कर जाती है 


संभाल लेना हमे [कविता]: रचना सागर


आज का ये समय जहाँ एक तरफ तो कुछ भी संभव है तो वही आज के हालात मे दवाईयाँ भी बेअसर है ऐसे में बस जरूरत है हमे सच्चे दिल से प्रार्थना करने की दुआ करने की ...... इसी भावना से जुड़ी मेरी ये कविता ...... जिसका शीर्षक है . . . . . . .....संभाल लेना हमे

                                           संभाल लेना हमे  [कविता]: रचना सागर 



ए खुदा हम तेरे बंदे है
तू ही हमें जाने है
और जीने का सलीका नहीं आता हमें
सलीका सीखा दे जीने का हमें
ए खुदा झुक कर हमें जीना नहीं आता
और जो तन जाए जमाना रूठ जाता है
चुप रहना मेरी फितरत नहीं
और जो बोला नाम लड़ाकू रख दिया
ए खुदा हमने संस्कार बांटे है
संस्कार ही बटोरे है
और जरा हँस क्या लिया
वो तो संस्कार पर ही ऊंगली
ए खुदा हम तेरे बंदे है…….
ए खुदा छोड़ दिया हमने सुनने सुनाने
का सिलसिला
और जो सुनने बैठे तो सुन न पाएँगे
ए खुदा हम तो दुआ और सलाम चलाते है
और प्रणाम को नमस्कार और नमस्ते करते है
वो तो इसको भी हाय-हाय बना कर छोडा है
ए खुदा हम तेरे बंदे है….
ए खुदा चमचों को चमचा ही रहने दे
और जो मजा खाने में ऊगलियाँ देती है
वो चमचों मे कहां, वो चमचों मे कहा..
ए खुदा हम तो चोटियों से भी
तहज़ीब सीख जाते है
और वो तो तहजीब पे तोहमत लगा जाते है
ए खुदा हम तेरे बंदे है….
ए खुदा हम तो तमीज़ की कमीज़
बनाकर दिन रात पहना करते है
और वो तो बस बदतमीजी का चोला
पहना गए हमें
ए खुदा हमने हाई एजुकेशन नही पाया
बस माँ – बाप से कुछ सीखा है
आज तो बस बच्चों में तू बसता है
और उन्ही को मेरा सज़दा है
उन्ही को मेरा सज़दा है...
ए खुदा आखिर मे बस ये दुआ करती हूँ 
रखना ईमान व असमत के साथ हमें
परवाह करती हूँ सबकी
बस संभाले रखना हमे
ए खुदा हम तेरे बंदे है......



राह दिखा दे [कविता]: रचना सागर



 


आज के इस भयावह समय मे इंसान कुछ भी कहने का लिया शब्दहीन हो गया है.....

राह दिखा दे [कविता]: रचना सागर 



ये भी सहूँ वो भी सहूँ
कोई तो दर्द की दवा बता दे
सहने का सिलसिला थाम दे
दिखती है इक रौशनी
उस रौशनी की राह दिखा दे
जिंदा है इंसान अब भी
जिंदा रहने का एहसास करा दे
झूठ के बादल को हटा के
सच का एक सूरज तू उगा दे