Showing posts with label प्रकृति. Show all posts
Showing posts with label प्रकृति. Show all posts
11 Jul

आओ इस प्रकृति को हम बचाए [कविता]- रचना सागर

आओ इस प्रकृति को हम बचाए [कविता]- रचना सागर सूरज का उगना सिखलाए रोज नई शुरूआत कर जाए ये विशाल पर्वत हमें आसमान छूने की राह बताए ये बृक्ष की तनी भुजाए हर पल आगे बढ्ने को कह जाए ये दिवार पर चिपकी छिपकली समस्या मे स्थिर रहने को सिखाती ये प्रकृति की छोटी छोटी चिंटियाँ पूरे समय व्यस्त रहने को कहती इन पंक्षियो...