भारत की गौरव गाथा [कविता]- रचना सागर

रचनाकार परिचय:-

रचना सागर का जन्म 25 दिसम्बर 1982 को बिहार के छ्परा नामक छोटे से कस्बे के एक छोटे से व्यवसायिक परिवार मे हुआ। इनकी शिक्षा-दीक्षा भी वहीं हुई। आरंभ से ही इन्हे साहित्य मे रूचि थी। आप अंतर्जाल पर विशेष रूप से बाल साहित्य सृजन में सक्रिय हैं।
भारत की गौरव गाथा [कविता]- रचना सागर


सोच रही हूं बैठे बैठे
कोई गीत गुनगुनाऊ
भारत की गौरव गरिमा की बात करूं या
चुप सी मैं रह जाऊं
तनी थी तलवार जब
हुआ था घमासान गजब
कुछ कर गए कुछ मर गए
वह इंकलाब का जोश हम में भर गए
आजादी के नाम पर मर गए वह मिट गए हैं
आज वो मरने वालों की साख कहां से लाऊं
जो बात छिपी थी उन गाथाओं में
वो बात कहां से लाऊं
भारत की गौरव गरिमा की बात करूं या
चुप सी मैं रह जाऊं

जहां मंदिरों की घंटियों से भगवान जाग जाते हैं
अजान की आवाज से शैतान भाग जाते हैं
सिखों के गुरबाणी का विश्वास
तेरे मेरे के बीच होली ईद का त्यौहार
यह भाई चारा का भाव कहां से लाऊं
भारत की गौरव गरिमा की बात करूं या
चुप सी मैं रह जाऊं


दादी का प्यार दादू का दुलार
हंसते हंसते रोने का व्यवहार
ये बात बात पर रोके हर बार
उस रूप टो के पीछे छिपा है प्यार
वह प्यार कहां से लाऊं मैं
भारत की गौरव गरिमा की बात करूं या
चुप सी मैं रह जाऊं

जहां जीत में भी आंसू छलकाए
और हार का भी जश्न मनाए
जो ले जाए बच्चों की सारी बलाएं
वह मां की ममता से में बँधा
ख्याल कहां से लाऊं
भारत की गौरव गरिमा की बात करूं या
चुप सी मैं रह जाऊं

बारिश की वह सोंधी खुशबू
रक्षाबंधन पर भाई बहन का प्यार
वह स्नेह के धागे में बंधा प्यार कहाँ से लाऊं
भारत की गौरव गरिमा की बात करूं या
चुप सी मैं रह जाऊं

परियों और भूत प्रेत के किस्से
टोना टोटका भी खूब यहां
अंधविश्वास भरता है पेट यहां
फिर भी हम पाते हैं विज्ञान की शिक्षा जहां
वह अंधविश्वास और विज्ञान का मेल कहां से लाऊं
भारत की गौरव गरिमा की बात करूं या
चुप सी मैं रह जाऊं


जहां पहलवान भी मिट्टी मल-मल के
अपने जंगल में मंगल करते हैं
मिट्टी का जो है असर यहां
वह मिट्टी का चमक कहां से लाऊं
भारत की गौरव गरिमा की बात करूं या
चुप सी मैं रह जाऊं

खेलों में भी आगे बढ़कर
तिरंगा अपना लहराया है
मुश्किलों से लड़कर मेडल कमाया है
भारत की शान है करते यह कमाल है
इन कमाल को करने का हौसला कहां से लाऊं
भारत की गौरव गरिमा की बात करूं या
चुप सी मैं रह जाऊं

पति पत्नी सातो जन्मों की कसमें खा कर
सोते जगते यह लड़ते हैं
रेल की पटरी की भांति हरदम
संघ में रहते हैं
पति पत्नी का यह
प्यार भरा तकरार कहां से लाऊं
भारत की गौरव गरिमा की बात करूं या
चुप सी मैं रह जाऊं

क, का, कि, की, च, चा, चि, ची
सुस्पष्ट स्वर्णिम सुंदर उपवन
शुद्ध हिंदी के उच्चारण का
वह पाठ कहां से लाऊं
भारत की गौरव गरिमा की बात करूं या
चुप सी मैं रह जाऊं


अंग्रेजी माना तू यूनिवर्सल है
और बड़े ही तुझ में कौशल है
पर जिसमें भारत का नाम ना हो
वह पहचान है किस काम का
भूल गए जो संस्कार हम
तो पहचान कहां से लाऊं
भारत की गौरव गरिमा की बात करूं या
चुप सी मैं रह जाऊं

भारत की गौरव गाथा
सोच रही हूं बैठे बैठे
कोई गीत गुनगुनाऊ
भारत की गौरव गरिमा की बात करूं या
चुप सी मैं रह जाऊं

No comments: