सौ साल बाद आई कहर है
यह महामारी नहीं सबक की लहर है
अपनी ही धुन में हम यू रम गए हैं
आए क्या करने और क्या कर रहे हैं
खुद ही खुद के गुलाम बन गए हैं
फिर भी आप मुस्कुराओ जी
कभी किसी का मजाक मत उड़ाओ जी
कहीं अम्फाल तो कहीं तूफान है
कहीं बाढ़ से लोग बेहाल है
चारों तरफ डर और खौफ का माहौल है
फिर भी आप मुस्कुराओ जी
प्रभु का धन्यवाद करते जाओ जी
संकट की घड़ी आई है
नहीं कोई सुनवाई है
प्रकृति ने भी बेरुखी दिखाई है
हर तरफ बदहवासी छाई है
फिर भी आप मुस्कुराओ जी
राम का नाम जपते जाओ जी
ग्रहण लगा सूर्य चांद पर है
इनकी रोशनी मधुआई है
मंदिर मस्जिद गिरजाघर की राहे बंद है
चहू ओर संघर्ष की ये अजब द्वंद है
फिर भी आप मुस्कुराओ जी
नित्य नित्य सत्कर्म करते जाओ जी
नदिया झर झर बहती जाती है
प्रकृति सुंदर राग सुनाती है
सब कुछ तो पहले जैसा है
बस हम- तुम ,तुम -हम बदले कैसे हैं
हर हाल में खुश रहने की जिद में
खुश रहना ही भूल गए हैं
फिर भी आप मुस्कुराओ जी
पग पग पर संभलते जाओ जी
नारायण नारायण कहते जाओ जी
सकारात्मकता फैलाओ जी
फिर भी आप मुस्कुराओ जी
5 comments:
बहुत अच्छी कविता, बधाई।
Thank you so much bhaiya.
बहुत बहुत धन्यवाद भईया 🙏
Beautiful bhabhiji
Thank you ji
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