अभी समय है...

आज उस वृक्ष को कटते देखा मैंने
जिसे रोपा था बूढी अम्मा ने
सींचा था अपने श्रम से, स्वेद से
पाला था बेटे की भांति
कल का नन्हा पादप
आज जब विशाल वृक्ष बना था
तो काट दिया अम्मा के अपने बेटे नें
मानो, एक भाई ने दुसरे भाई को काट दिया..

आज उस वृक्ष को कटते देखा मैंने
जिसे रोपा था बूढी अम्मा ने
वह वृक्ष उदास तो था
किंतु उसकी आँखों मे आँसू न थे
वो आज के मानव की कहानी कह रहे थे
उसे अफसोस नहीं कट जाने का/मिट जाने का
कि यही तो आज की दुनियाँ है हाँ
यहाँ माँ के दुध का कर्ज अदा नही होता
धरती माँ का हक़ अदा नही होता
जहाँ संग खेलते भाई-बहनों का संग नही होता
वहाँ एक अदना वृक्ष की क्या बिसात?
जाता हुआ वृक्ष धरती में बिबाईया बो गया
दरारे अपनी लिपि में
दे रही थी चेतावनी मानवता को
अभी समय है संभल जाओ..

- रचना सागर
27.12.2007

मैने देखा था।



मैंने देखा था
आपको रोते हुए
आँखें नम न थी आपकी
सिसकियाँ भी नहीं
फिर भी जैसे टूटा था कुछ
दिल था क्या?
मैंने देखा था आपको रोते हुए
-रचना सागर
२७.०८.२००७

उनके बिना



जीने की चाहत किसे है
यूं ही जी ली ज़िन्दगी
खुशी मिली, कह दिया हाय
गम आय, उन्हें भी हाय
उनके बिना जीना क्या
मरना भी बेकार लगे
भूख, प्यास, धूप, छाँव
सब एक समान लगे

- रचना सागर
29.07.2007

क्षणिका - अहसास से


कभी तेरे आने के अहसास से
मन प्रफुलित हो उठता है
तो कभी उसके आने के अहसास से
दिल खिल उठता है
ऐसे मे नींद तो आती नहीं
पर सच मे
तेरी याद बहुत आती है।


- रचना सागर

उडान..

चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

अंधेरे रात में चमकते जुगनू को देखा
ऐसा लगा मानो कवि की
सुन्दर कल्पना हो
छोटी सी परी की
सुन्दर सी उडान हो
मेरी बेटी की प्यारी मुस्कान
सी लगी फिर वो रात मुझे

- रचना सागर

मंज़िल अभी बाकी है


ज़िन्दगी एक सफर है
खुश हो रहे हैं हम
दो वक्त की रोटी पा कर
और अपने ठहराव को मंज़िल समझ बैठे
हम तुम ने सफर को ही मंज़िल कह लिया है

जब आती है किसी की मौत तो कहते हैं
मंज़िल आ गयी
ज़िन्दगी महज झांकी है
हमारी मंज़िल अभी बाकी है...

- रचना सागर
07.07.07

निशां छोड जायेंगे..

निशां छोड जायेंगे
हम रहेंगे नहीं
बस याद आयेंगे
नज़र न आयेंगे फिर भी
तडपा जायेंगे
जग से चले जायेंगे

ढूंढोगे, खोजोगे, तलाशोगे
यहाँ वहाँ
लकीरों में देखोगे
खोजोगे पहाडों में
पाओगे कहीं नहीं
बस तनहा रह जाओगे

- रचना सागर
9.02.2007
जग से चले जायेंगे

आपका साथ

ख्वाबो में बसा के किसी को
यादों में बसा के किसी को
ज़िन्दगी गुजारी नहीं जाती
ज़िन्दगी जीने के लिये तो
जिन्दादिली जरूरी है
दीदार भी जरूरी है
आपके प्यार के साथ साथ
आपका साथ भी जरूरी है

RACHNA SAGAR

कुछ शेर...

गम तो सभी देते है
गम मे साथ कम देते है

कितनी सच्चाई थी इस ख्वाब मे
रब के बताने मे और अपके चले जाने मे

हर ख्वाब की तबीर सच नही होती
सच होती है तकदीर
हर मोहब्बत सच नही होती

सब्र वह जाम है जिसे पीना है मुश्किल
किये बगैर सब्र जीना है मुश्किल

हर डाल पे खिले फूल जरूरी तो नही
हर राह मे मिले आप जरूरी तो नही

शायरी करना एक आदत सी बन गयी है
ज़िन्दगी एक शिकायत सी बन गयी है

किसी ने कहा था शायरी मत करना
किसी की चाहत मे तुम हद को पार नही करना

हर चीज की एक हद होती है
हद के आगे मोह्ह्ब्ब्त होती है

कागज पे लिखे हर बात मे सच्चाई है
कहते है लोग प्यार मे बेवाफई है

मेरी खुशी अधुरी है आपके बगैर
हर मंजिल अधुरी है आपके बगैर

हम जिनसे बात करने को तरसते है
वो हमे कभी याद भी नही करते है

तेरी रहमत के बगैर मेरे पास कोई चारा नही
और मेरी दुनिया मे कोई सहारा नही

कोई मजबूर होता है कोई मह्बूब होता है
किसी की आँखे रोती है किसी का दिल रोता है

कभी अच्छे कभी बुरे कभी भले से लगते है
वही तो है जो कुछ अपने से लगते है

किसी से पूछे बगैर किसी का इन्तज़ार मत करना
करो ऐतबार मगर हर किसी से प्यार मत करना

किस किस ने मुझे बदनाम किया
हर किसी ने एक नया नाम दिया

जमाने के सामने हसना है जरूरी
दिल मे गम है फिर भी होठो पे हँसी है जरूरी

दर्द से निजात मिल जाये हम यह दुआ करते है
खुदा के नाम पे वफात (मौत) पाये हम ये दुआ करते है

ABHISHEK HERE