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01 Mar

आजादी का पैमाना [कविता]: रचना सागर

 जब बात एक औरत की पाबंदी और उसे आजादी देने की आती है तो घूमना, खाना ,उठना, बैठना, पढ़ना ये सब उसकी आजादी के पैमाने गिनाए जाते हैं । इसी संदर्भ में पेश है मेरी नई कविता ... आजादी का पैमाना [कविता]: रचना सागर  मैं चिड़िया होकर भी पंख फड़फड़ाने से कतराती रही यहां तो अंडे भी चोच मार जाते रहे जो चुपचाप...