उडान..

चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

अंधेरे रात में चमकते जुगनू को देखा
ऐसा लगा मानो कवि की
सुन्दर कल्पना हो
छोटी सी परी की
सुन्दर सी उडान हो
मेरी बेटी की प्यारी मुस्कान
सी लगी फिर वो रात मुझे

- रचना सागर

4 comments:

Unknown said...

Your peom is very touchy and very near to reality. It touches your heart and introduce yourself to the nature also. Keep it up. All the best for future also.

योगेश समदर्शी said...

बहुत खूब रचना है रचना जी की
सागर भाई आपको दोहरी बधाई

ज़िन्दगी महज झांकी है
हमारी मंज़िल अभी बाकी है...
जैसे अल्फाज रचनाकार के विस्तृत मानस की उदघोषणा है.

Anonymous said...

aapki poem heart ko touch karne wali hein. future mein bhi aap poem likhti raho or bahut naam kamao. May God bless you. keep it up.

Indu Wadhwa

Anonymous said...

Haan sehi keha iteni pyaari beti paa ker intne pyaar hi umadta hai mann mai.... bhagwaan aapki bitiya koi behut sawastha aur khush rekhe...