झलक [कुछ पंक्तियाँ]:रचना सागर

औरत मे अनगिनत भावनाए समाहित होती है उन्ही भावनाओ की एक छोटी सी झलक.....आज का इस महिला दिवस का उपलक्ष मे ....

झलक [कुछ पंक्तियाँ]:रचना सागर 



कोई तो मुझ में बात रही होगी,
तभी तो तेरी महफिल मे मेरी चर्चा हुई होगी। 

रास्तो की थपकियों से इंसान चलने का हुनर सीखता है,
वरना कहाँ उसे सही रास्ते का पता होता है....
 

न दिल होता न दर्द होता
न ये दिल और दर्द का
रिश्ता हम से होता
न महफिल जमती
न पैमाना चढता
न ही आँखो से
अश्क छलकता
ये दिल ही तो है ...
.

इश्क इश्क सबने किया
इश्क न जाने कोय
इश्क की इबादत जो करे
इश्क उसी का होय। 




2 comments:

Anonymous said...

Ye laine pehle padhi hua hai maine, original nahi ho sakti hai ye kavita.

रचना सागर said...

May be....but this is 💯 percent original