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लोहड़ी आई बधाइयां छाई [बाल कविता]: रचना सागर




साल की शुरूआत का पहला त्योहार है.... इसको बड़े बूढ़ो के आशीर्वाद के साथ..... नए फसल होने की खुशी मे मनाया जाता है...... पेश है मेरी नई कविता लोहड़ी आई बधाइयां छाई 

लोहड़ी आई बधाइयां छाई [बाल कविता]: रचना सागर 


लोहड़ी आई बधाइयां छाई 
चारों ओर से गुड़ और तिल की खुशबू आई
साथ मूंगफली और गजक के महफिल में रौनक आई
जब साथ मिल बैठे सब भाई भाई
इस मीठे की महक से बच्चों के चेहरे पर मुस्कान खिल खिलाई
देखकर इनकी मासूमियत गुरुओं की गुरुवाणी याद आई
तुम जितने भी बड़े हो जाओ
पर त्योहार का मजा तो बच्चा बन के उठाओ
झूमो नाचो कि सारा गम भूलाओ
वो सब कुछ अच्छा करता है
यह खुद को विश्वास दिलाओ
हैप्पी लोहड़ी .......

लॉकडाउन की प्रकृति [बाल कविता]- रचना सागर


बच्चों की बातें मम्मी की कलम द्वारा 
इस लॉकडाउन में ,
इंसान लॉक हो गए ,
प्रकृति स्वतंत्र हो गई।
नदियां खिल- खिलाई,
फूल मुस्कुराए ।

इस लॉकडाउन में,
मैं कोयल की,
कू कू सुन पाया ।
कू कू कर उसको चिढ़ाया ,
बड़ा मजा आया।

इस लॉकडाउन में,
मैं चिड़िया का
घोंसला देख पाया।
दाना चुगते वे प्यार से
ये करीब से देख पाया।

इस लॉकडाउन में,
मैंने दादू- दादी मां से की
ढेर सारी बातें
किस्से -कहानियां और
साफ -सफाई की बातें।

इस लॉकडाउन में,
मैंने दो- दो , दो- दो
इंद्रधनुष साथ में देखा।
वादियों का सुंदर रंग देखा
अद्भुत सूर्य ग्रहण देखा
विज्ञान और ज्योतिष का
अजब मेल भी देखा।

इस लॉकडाउन में,
मैंने की ऑनलाइन पढ़ाई,
मम्मी के मोबाइल पर हक भी जमाई।
अंग्रेजी, हिंदी ,गणित, विज्ञान की
घर पर ही की पढ़ाई।

इस लॉकडाउन में
मैंने रंग- बिरंगी पकवान खाएं
गुलाब- जामुन ,रसगुल्ला भी
मम्मी ने खूब बनाए
गरमा- गरम जलेबी का
स्वाद खूब भाया।

और, इस लॉकडाउन में,
इंसान लॉक हो गया
पर्यावरण खुद स्वच्छ हो गया
करो ईश्वर का धन्यवाद,
हर रोज, हर बार, बार- बार
इस लॉकडाउन मे ।