मैने देखा था।



मैंने देखा था
आपको रोते हुए
आँखें नम न थी आपकी
सिसकियाँ भी नहीं
फिर भी जैसे टूटा था कुछ
दिल था क्या?
मैंने देखा था आपको रोते हुए
-रचना सागर
२७.०८.२००७

उनके बिना



जीने की चाहत किसे है
यूं ही जी ली ज़िन्दगी
खुशी मिली, कह दिया हाय
गम आय, उन्हें भी हाय
उनके बिना जीना क्या
मरना भी बेकार लगे
भूख, प्यास, धूप, छाँव
सब एक समान लगे

- रचना सागर
29.07.2007

क्षणिका - अहसास से


कभी तेरे आने के अहसास से
मन प्रफुलित हो उठता है
तो कभी उसके आने के अहसास से
दिल खिल उठता है
ऐसे मे नींद तो आती नहीं
पर सच मे
तेरी याद बहुत आती है।


- रचना सागर

उडान..

चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

अंधेरे रात में चमकते जुगनू को देखा
ऐसा लगा मानो कवि की
सुन्दर कल्पना हो
छोटी सी परी की
सुन्दर सी उडान हो
मेरी बेटी की प्यारी मुस्कान
सी लगी फिर वो रात मुझे

- रचना सागर

मंज़िल अभी बाकी है


ज़िन्दगी एक सफर है
खुश हो रहे हैं हम
दो वक्त की रोटी पा कर
और अपने ठहराव को मंज़िल समझ बैठे
हम तुम ने सफर को ही मंज़िल कह लिया है

जब आती है किसी की मौत तो कहते हैं
मंज़िल आ गयी
ज़िन्दगी महज झांकी है
हमारी मंज़िल अभी बाकी है...

- रचना सागर
07.07.07

निशां छोड जायेंगे..

निशां छोड जायेंगे
हम रहेंगे नहीं
बस याद आयेंगे
नज़र न आयेंगे फिर भी
तडपा जायेंगे
जग से चले जायेंगे

ढूंढोगे, खोजोगे, तलाशोगे
यहाँ वहाँ
लकीरों में देखोगे
खोजोगे पहाडों में
पाओगे कहीं नहीं
बस तनहा रह जाओगे

- रचना सागर
9.02.2007
जग से चले जायेंगे